बस नाम नमामी गंगे है
*बस नाम नमामी गंगे है * ******************** धुन्ध में भी साफ़ दिखता है कोन किसके संगे है .. वोट और कुर्सी की होड़ में होते नित नये नये पंगे हैं भाषण प्रवचन का साबुन लगा इस हमाम में सब नंगे हैं बस न...
वो शेर जिन्हें तुम अल्फाजों के तानेबाने से बांध कर अर्ज करते फिरते हो,,वो मेरे दिमागी अभयारण्य में छुट्टे घुमा करते हैं - संजय "शौर्य"।।