खाक हमें कर डालेगी आदत ये पुरानी तेरी...... संजय शौर्य

मेरे लब्जों की खासियत है रूमानी तेरी ।।
हर अदा है मोह्हबत की गुमानी तेरी।।
क्यों बन के शबनम बरसती हो हर शाम ।
खाक हमें कर डालेगी आदत ये पुरानी तेरी ।
गुनाह इतना ही किया था की इजहार किया था
आपसे इकरार की उम्मीद भी  दीवानी तेरी ,

Comments

Popular posts from this blog

तेरी मेरी एक चाय