Ishq ka ilaaj
मारे मारे फिरते हैं इस
इश्क़ का इलाज नहीं मिलता
तेरे सिवा कोई हक़ीम हमें परवरदिगार नहीं मिलता
रोशनी है मोहताज चिंगारी की
तल्खी है क्यों बंदिश है क्यों
वफ़ा को नामुराद बस वफादार नहीं मिलता ।।
तेरा प्यार है या है
सरकारी दवा खाना
बीमारों के हुजूम में हमे अपना
एक तीमारदार नहीं मिलता ।।
#$anjay $haurya
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