तेरी फिरकापरस्ती
अनसुनी सी बातें, सुना देती हैं ये रातें
जिनको खो देते हम पास होते हैं सनम
जिनके आने की खबर न था जाने का भी गम
उनके जाने से ही दिल को हुआ ये कैसा असर
धड़कने हैं बढ़ती साँसे द्रुत गति से चलती
ये फिरकापरस्ती, आंखों आंखों की होती मस्ती
थामे थमता नहीं है वक़्त ये ठहरता नही है
उस नखरेवाली को ये दिखता नहीं है ।।
हम बिक चुके मुफत में,चाहत तेरी फखत में
अनसुनी सी बातें, सुना देती हैं ये रातें ।।।
ये फिरकापरस्ती, आंखों आंखों की होती मस्ती
(संजय "शौर्य")
26 अगस्त 2017
00:19
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