जन्नत की लहर , दोज़ख का जहर
हमारे जाहिलपन की हद तो देखिए ..
पोछकर आँसू सोच बैठे के रकीब बदल गया ।
धोकर हाथ सोच बैठे के नसीब बदल गया ।
कतरा कतरा बहते गए ..
कतरा कतरा होते गए ,,,,
जन्नत की लहर से जुदा होकर ,
दोज़ख के जहर में मिलते गए ।।
#संजय शौर्य
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