रुखसत

कायनात हाथों की लकीरों की मोहताज न होती
दिल से चाह रखो तो किस्मत कभी लाचार न होती
तेरी दस्तक से ही बदल गए मेरे हालात मेरे हमनवां
जो कुछ देर थम गये होते तो जिंदगी यूँ बेजार न होती

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