कल के पुर्जे आज मशीन हो गए
कल के पुर्जे आज मशीन हो गए
दोस्त भी जालिम से कमीन हो गए
अपनी खुशियों को बांटे किससे
मेरे अल्हड़ ठहाके भी ग़मगीन हो गए
मेजबानी की थी जिन हुस्न की हमने
मेरे इश्क़ के गुरुर में वो और हसीन हो गए
.....जारी रहेगी
संजय शौर्य
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