खैर खुद की
अपनी बात खुद के सामने रखी तो मालूम हुआ ।
बेदर्द कहते हैं हम दुनिया को और खुद पत्थर बने बैठेे हैं ।
वो हर मुस्तैद कवायद
हवा सी हवा हो गयी ।
उफ़ के जानिब खुद को कहें तो कहें क्या,
न जाने किस जन्नत का मुकद्दर बने बैठे हैं ।
मिलूंगा कभी खुद से तो ये पूछुंगा किसी दिन
कहाँ मुझसे मेरे जज्बात छिपे बैठे हैं ।।।
#संजय शौर्य
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