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Showing posts from June, 2017

आतंक के मौसम को बरकत रास नहीं आती

आतंक के मौसम को बरकत रास नहीं आती तेरे रहनुमाओं को ये कारिंदगी ख़ास नहीं आती रूठी पड़ी हैं तेरे शहरों की हंसी ए दोस्त और वहाँ बदनुमा रातें हैं लहू लुहान,  हसीं कोई सहर नहीं आती बे अदब हैं कायदे कानून तेरे  ए शरीफ जादे मुल्क चलाने की काबलियत तुझमें  नजर नहीं आती मिल गया मिट्टी में या  गुरबत तुझे ले डूबी है, आज़ादी की उधर से अब कोई दरख्वास्त नहीं आती ...

आज फिर गुजरी तन्हा शाम और उसने इजहार न किया...

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लो बुझ गयी सूरज की लौ उसने किसी का इंतजार न किया आज फिर गुजरी तन्हा शाम और उसने इजहार न किया छोड़ आए हैं जबसे दिल उनके  पहलू में हम हमारी किसी सांस ने भी हमारा एतबार न किया ....             आज फिर गुजरी तन्हा शाम और उसने इजहार न किया वो कौन सी है शाख , खिल के जिसपे मुरझाए न कोई... बेपरवाह हो गर मोहहब्ब्त तो दिल लगाए न कोई ... उसने हामी भर के भी टाल दिया और हमने इंकार न किया ...             आज फिर गुजरी तन्हा शाम और उसने इजहार न किया... दो दिलों का मेल है और सात जन्म का साथ फिर एक मोहहब्ब्त ने पढ़ाया हमे ऐसा पाठ खैर कुछ तो सीखा वक्त हमने यू ही जाया और बेकार न किया             आज फिर गुजरी तन्हा शाम और उसने इजहार न किया... # संजय “शौर्य”   30 जून 2017 

मेघ से बोलो - संजय "शौर्य"

मेघ से बोलो ज्यादा न बोले बरस पड़े चुप से होले होले मां से बोलो  कढ़ाई चढ़ाये चा के साथ पकोड़ी बनाये छाते की डंडी टूटी हुई है, कोई जाके बनवा लाये मेघ को बोलो गरजता तू ज्यादा, नहीं बरसा तो क्या होगा फायदा । वो देखो कैसे भीगते हैं गिर गिर के संभलना सीखते हैं बारिश की बूंदें ठंडी ठंडी पापा ने निकाली पहाड़ी बंडी टोप ऐसा मैंने भी पहना है मुझ को घर में नहीं रहना है ....  (ब्लॉग पर मेरी पहली बाल कविता) 

हाले दिल, दिल ही जाने हमे क्या ........... संजय शौर्य

हाले दिल बताने की सजा दिल ही जानेगा ....हमें क्या दिल लगाने की सजा दिल ही भुगतेगा .....हमें क्या वक़्त ही जानेगा उस बर्बादी का सिला ....हमें क्या मुकद्दर ही जानेगा के हमे क्या मिला ....हमे क्या तुम चली आयी थी पुरवाई सी हमे क्या जो न जाने उससे क्या रुसवाई हमे क्या हमे क्या के मिलो तुम या न मिलो हमदम रब्ब जो न करे वो कम...... हमे क्या ।

मेरी याद तुझे भी याद तो होगी ....... संजय शौर्य

सबक जो सीखे कुछ हुनर कुछ  भूल होंगे । चले होंगे बिन हमारे जब उन रास्तों पे जानशीं।। चुभे मेरी यादों के कुछ काटें तो कुछ फूल होंगे ।। खामोश होंगे पतझड़ में दरख्त के पत्ते जमीं पर ।। कुछ उनकी नेकी तो कुछ उनके भी उसूल होंगे ।। कोशिश जितनी भी करेंगे वो खुश खुद को दिखाने की । हर नक्श उनके झूठे हर जतन फिजूल होंगे ।

खाक हमें कर डालेगी आदत ये पुरानी तेरी...... संजय शौर्य

मेरे लब्जों की खासियत है रूमानी तेरी ।। हर अदा है मोह्हबत की गुमानी तेरी।। क्यों बन के शबनम बरसती हो हर शाम । खाक हमें कर डालेगी आदत ये पुरानी तेरी । गुनाह इतना ही किया था की इजहार किया था आपसे इकरार की उम्मीद भी  दीवानी तेरी ,

बूढ़े समंदर में घुलती नदिया की जवानी ................ संजय शौर्य

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उस पानी को तरसता ये पानी । बूढ़े समंदर में घुलती नदिया की जवानी ।। सितम ये कुदरत का है या हम पर है रब की मेहरबानी। मिची मिची आखों में सपने विशाल कहते हैं मेरे होने की कहानी ।। ख्वाबों के गुच्छे की  एक चाबी बनकर तुम खोलती हो यादों की कोठरी पुरानी .. उस पानी को तरसता ये पानी । बूढ़े समंदर में घुलती नदिया की जवानी ।।

ए सनम हम तो सिर्फ तुम से प्यार करते हैं ॥ redefined lyrics by संजय शौर्य

चाँद तारों से तेरी बात करते हैं नाम तेरे अपने दिन रात करते हैं लाख रूठोगे मना लेंगे हम भी रूठ कर बंदगी  आपसे  इस कदर खास करते हैं । ए सनम हम तो सिर्फ तुम से प्यार करते हैं ॥ लौट आएगी फलक पे बरकत हुस्न की, ये दुआ रब से मेरे हालात करते हैं  । तेरी नब्ज तेरे रुबाब दिल ही जाने , खता तुझे समझाने की हम बार बार करते हैं ।। ए सनम हम तो सिर्फ तुम से प्यार करते हैं ॥ चाँद तारों से तेरी बात करते हैं नाम तेरे अपने दिन रात करते हैं ... तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते हैं ... ए सनम हम तो सिर्फ तुम से प्यार करते हैं ॥

तुम्हे चुनना ज़िन्दगी चुनना- संजय शौर्य

न बुरे में बुरा चुनना न अच्छे में अच्छा चुनना तुम्हे चुनना तो है ज़िन्दगी में ज़िन्दगी चुनना शिकवे में गिला चुनना खोये में मिला चुनना भूले में किसी की याद और गम में हँसी चुनना तुम्हे चुनना तो है ज़िन्दगी में ज़िन्दगी चुनना । वफ़ा में इंतहा चुनना होशी में बेखुदी चुनना । सपने में सपना चुनना गैरों में अपना चुनना । तुम्हे चुनना तो है ज़िन्दगी में ज़िन्दगी चुनना ।।

तेरे गुनहगार हुए हम -- संजय शौर्य

दिल तोड़ के तेरा खुद के ही गुनाहगार हो चले हैं ... हम मिटा के तेरी यादों को तेरे ही पनाहगार हो चले हैं ... हम ढूंढते थे कभी तुम्हे अपनी किस्मत की लकीरों में ... हम आज तेरे नाम के ही पेशगार हो चले हैं ... हम॥

पल पल दिल के पास -- संजय शौर्य के अंदाज में

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इस दिल की धड़कन में, तेरा एहसास गुनगुनाये ।  हर ख्बाब तेरा नींदे, आकरके महकाये। जब जब तेरी बातें , मुझे याद आती हैं । रूठे होंठो पे भी, मुस्कान लाती हैं तुम दूर होकर भी नजदीक ही रहती हो ।। पल पल दिल के पास, तुम रहती हो जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो पल पल ... जितना भूलोगी तुम, याद आएंगे हम । तेरे आईने में भी, नजर आएंगे हम ,  बरसती घटा बनकर,  बोल जाएंगे हम, क्या हाल है तुम्हारा बरसातों से पूछ लो सनम । बोलती है तुम्हारी सुबह, तुम झूठ कहती हो ।।। रुखसत हम हर गम कर देंगे जो जो तुम सहती हो।। पल पल दिल के पास, तुम रहती हो जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो पल पल ... _Dedicate this to My Dear Friend "Harish Thapliyal" for finding his soulmate..