गालिब बनना छोड़ दे- संजय शौर्य

किसके कान खुले हैं तेरी यहाँ सुनने को 
तू अब यूं हर किसी की सुनना छोड़ दे 
बहाने बना के रूठ जाएगी 
हंसी, तेरे लबों पर किसी को न भाएगी 
जिसके लिए लिखता है अलफाज इतने 
बटोरते भी नहीं वो खत तेरे बिखरे हैं जितने,
टूट जाएगा तू भी बिखर के यूं तनना छोड़ दे
दिल मेरे तू गालिब बनना छोड़ दे ..............

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