तुम जो तलाशो- संजय

तुम जो तलाशो खुद मे मुझे 
आरजू दिले नादान इतनी सी है 
बेखबर सी है सादगी यहाँ
रौनक ए महफिल इतनी सी है 
मैं जो लिखू चंद फब्तियां
नाम हो तेरा गलती इतनी सी है ।
बदोशे खाना जिंदगी सफर में
मुझमे तू तुझमें मैं, तनहाई सिफर सी है
ले तू फिर तस्सवुर मे है मेरे
अमावस में इस कदर रोशनी सी है ।
तुम जो तलाशो खुद मे मुझे
आरजू दिले नादान इतनी सी है ।

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