अंतर्मन में द्वेष है पल पल बदले भेष है भेड़िया बोले मेष है क्या ये मेरा देश है? कराहती है धरा अंबर गुबार से भरा पर्वतराज खुला केश है क्या ये मेरा देश है? इस देश में दो देश हैं एक में लंबी कतारें एक में महकती बहारें अहं पर किसी के ये ठेस है हां ये मेरा देश है ..
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