वो कहाँ हैं ?

 वो कहाँ हैं ?

जो लिखे थे
बहुत सोचकर
ढेर सारे
लफ्ज
मिलते नहीं हैं
किसी पन्ने पर
वो  कहाँ है
?
मिल के
बिचड़े थे
बहुत सोच कर
के फिर मिलेंगे
मिलते नहीं हैं
किसी मोड़ पर
वो कहाँ हैं
?

रुकना
कहकर
आना ही भूले जो
तन्हाइयों
में भी मिलते नहीं हैं
वो कहाँ हैं ?
मिले तो कहना
हमने उन्हें
अब ढूँढना
फितरत बना लिया
वो
यहीं हैं
मुझमें
कहीं हैं ।

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