तेरे बगैर- संजय शौर्य
आते जाते हर शख्स में तुझे ढूँढती हैं
बेशर्म हो चली हैं शामें तेरे बगैरनफे नुकसान का होश किसे था
हम खुद को दिये बेच यहाँ तेरे बगैर
नाजायज सी चलती हैं सासें मुझमें
हमारा दिल भी हमारा न रहा तेरे बगैर
आते जाते हर शख्स में तुझे ढूँढती हैं
बेशर्म हो चली हैं शामें तेरे बगैर
Comments
Post a Comment