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Showing posts from 2021

यादों में ...

हमने जिंदा रहने के बहाने ढूंढे  उसने अपनी खिदमत में नजराने ढूंढे  वक्त और पानी मुठ्ठी में कैद नहीं होता हमने हथेलियों की बारीक नगरी में  कुछ उसके फसाने ढूंढे कुछ पुराने ज़माने ढूंढे  संजय शौर्य 

क्या ये मेरा देश है ?

अंतर्मन में द्वेष है  पल पल बदले भेष है  भेड़िया बोले मेष है क्या ये मेरा देश है? कराहती है धरा अंबर गुबार से भरा पर्वतराज खुला केश है क्या ये मेरा देश है?  इस देश में दो देश हैं एक में लंबी कतारें एक में महकती बहारें अहं पर किसी के ये ठेस है हां ये मेरा देश है ..

मुर्दा ज़िन्दगी

गांव से शहर लाया  अब लाश शहर से गांव जाएगी ज़िन्दगी मुर्दा है  इधर उधर भटकेगी बीत जाएगी  तिलमिला जाते हैं हुजूर बिस्मिल्लाह के नाम पर  ये जात तो जात है कहां जाएगी ? दरख़्त पर उनके बसंत  पत्तियां सोने की हैं  हमरी दमड़ी ढाक की  सुट्टों में खर्ची जाएगी ।  ©संजय "शौर्य"  21 अप्रैल 2021 

सुपुर्दगी

रुकती कहां है लहरें साहिल पर टकराने के बाद  ठहरती कहां है नजरें उनसे मिल जाने ने बाद  ये प्यार ये अदब और ये सुपुर्दगी किसी में ना दिखी उनके मिल जाने के बाद ।। #SanjayShaurya

तलाश ए मोहब्बत

उसने मुझे मयखाने में ढूंढा  पर्दानशी हर तैखाने में ढूंढा  गिरफ्त थे हम उसी के अंशुमन में उसने हमें सरे ज़माने में ढूंढा  सोचते रहे बस हम ही करीब ए दिल उसके और उसने हमें अपने हर नए दीवाने में ढूंढा  बरकत थी उसकी हर हंसी हमारी  इश्क़ को उसने बस खजाने में ढूंढा । #बज़्म #shayari SanjayShaurya 

तजुर्बा ए रोशनी

तजुर्बा ए रोशनी में इत्तेफाक देखा  गुलों के बीच मुरझाया हमराज देखा  कहकशां था बीती रात जिस घर में  सुबह गमों का उठता वहां सैलाब देखा  मोहब्बत को कैसे मान लूं रहमत तेरी हर मोड़ पर रुसवाई का सजता बाजार देखा । #sanjay