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आंखें और नींद

आंखों में छिपी नींद  की तरह है जिंदगी में  छिपी सच्चाई  ये दिखाई देती है  जब जिंदगी रुक  जाए जब ये थम जाए !  उसुलों की सूली पर  टंगी होती है  गर्द इस कदर  जब छू लो  गरज जाए बिखर जाए ।  मजाल है कोई   ठीक कर दे  रंजिश घड़ी  की सुइयों की   ये जब देखो बिगड़ जाए  ये जब देखो लड़ जाए ।  संजय शौर्य  2 सितंबर 2020 7:26प्रातः 

गांव और शहर

गांव में अपनापन  शहरों में अकेलापन  गांव में शांति का शोर  शहरों में हुजूम चहुं ओर गांव में ठंडी बयार  शहरों में गर्मी अपार  गांव की निर्मल काया  शहरों में बिना रूह माया  गांव में निश्चल मन है  शहरों में निर्वस्त्र तन है  गांव में मिट्टी की महक  शहरों में भट्टी और देहक  गांव में जिव्हा को आराम है  शहरों में पेट हर हाल में हराम है  बस  गांव में हाथ खाली हैं   जमींदारी के पास गिरवी  हर खेत हर नाली है  गांव में रोशनी नहीं  गांव में रह गई बस झुर्रियां है  शहर जाता एक एक भातुर है  ये गांव भी वो गांव भी क्यूं   बस शहर बनने को आतुर है  ये गांव भी वो गांव भी क्यूं   बस शहर बनने को आतुर है    ©SanjayShaurya  10May2020

Aise hi likhte likhte

Chemi__cal locha  Har__pal Dhokha  Aaj__kal Hota  Hai__Bal* eklouta  N__sal* insaani  Ga__jal rumaani Mohb__bat Ruhaani  Haaye Kamakhat Ja___waani Kitni Haseen ZINDAGAANI  Aise hi likhte likhte  Bal = बल  (उत्तराखंड गडवाली बोली में सामान्य बोल चाल में अधिकाशता प्रयोग किया जाने वाला सहायक शब्द)  N_Shal = नसल, जाति, किस्म (उर्दू शब्द)   #SanjayShaurya

हमारा भारत महान है । ।

वक़्त पर पहरा भारत है ठहरा पेट की सोचे या देश की राशन की लाइन में खड़ा सोचता हर इंसान है हमारा भारत महान है । । धर्मों में छिपता धूर्त गलियों में पलता जमातों में बैठा देश का बेईमान है हमारा भारत महान है । । #SanjayShaurya

फिर वही सुबह आएगी

फिर वही सुबह आएगी खेतों में बालियो पे जब वही हाथ लगायेगे जिनहे उसे उगाया है और लहलहाते दूर से देखा है ... फिर  वही  सुबह आएगी...  शिखर आरोहण को उठेगा नोजवान फिर से हिमशिखर रोशनी से चमकेगा और वादियाँ मुस्कुरायेगी...  उदास रास्ते और तन्हा कारवां कदम मिलाते  संग  चलेंगे फिर से हाथ में हाथ डाले  कलियाँ-  डालियाँ खिलखिलायेगी...  फिर वही सुबह आएगी कुछ दिनों की तनहाई ने सबक सिखाया है हमें हमसे अपनों की जुदाई ने ... कोरोना की बढ़ती गिरफ्त तोड़ देंगे हम इसके गुरूर को जो रुक जाओ तुम अपने घर हम अपने घर ... इंसानी मौतें और और धरा पर मँडराता ये संकट कुछ और पल ...कुछ और पल ... फिर वही सुबह आएगी जिसका इंतज़ार तुमको भी है जिसपे एतबार हमको भी है फिर वही सुबह आएगी... संजय शौर्य 8/04/2020 11:08AM