फिर वही सुबह आएगी


फिर वही सुबह आएगी
खेतों में बालियो पे
जब वही हाथ लगायेगे
जिनहे उसे उगाया है
और लहलहाते दूर से देखा है ...
फिर वही सुबह आएगी... 
शिखर आरोहण को उठेगा

नोजवान फिर से
हिमशिखर रोशनी से चमकेगा

और वादियाँ मुस्कुरायेगी... 
उदास रास्ते और तन्हा कारवां
कदम मिलाते संग चलेंगे फिर से
हाथ में हाथ डाले 
कलियाँ- डालियाँ खिलखिलायेगी... 
फिर वही सुबह आएगी
कुछ दिनों की तनहाई ने
सबक सिखाया है हमें
हमसे अपनों की जुदाई ने ...
कोरोना की बढ़ती गिरफ्त
तोड़ देंगे हम इसके गुरूर को
जो रुक जाओ तुम अपने घर
हम अपने घर ...
इंसानी मौतें और
और धरा पर मँडराता ये संकट
कुछ और पल ...कुछ और पल ...
फिर वही सुबह आएगी
जिसका इंतज़ार तुमको भी है
जिसपे एतबार हमको भी है
फिर वही सुबह आएगी...

संजय शौर्य 8/04/2020 11:08AM

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