सुपुर्दगी
रुकती कहां है लहरें साहिल पर टकराने के बाद ठहरती कहां है नजरें उनसे मिल जाने ने बाद ये प्यार ये अदब और ये सुपुर्दगी किसी में ना दिखी उनके मिल जाने के बाद ।। #SanjayShaurya
वो शेर जिन्हें तुम अल्फाजों के तानेबाने से बांध कर अर्ज करते फिरते हो,,वो मेरे दिमागी अभयारण्य में छुट्टे घुमा करते हैं - संजय "शौर्य"।।