तन्हाइयों में साथ रहे और महफिल में अकेला छोड़ गए

जाते जाते तुम अपनी यादों का मेला छोड़ गए
तन्हाइयों में साथ रहे और महफिल में अकेला छोड़ गए ।
सुकून हमारा छीन कर बेचैन हमे यूं कर दिया,
आवारा थे तो ठीक थे, फिक्रमंद हमें क्यूँ कर दिया, 
बंध न पाये किसी लय में तुम गीत एक अधूरा छोड़ गए..
जाते-जाते तुम अपनी यादों का मेला छोड़ गए ....
तन्हाइयों में..............................।
गर्दिशों में भी मुस्कुराते थे, यारों का रहता साथ था,
बंदिशों में भी आज़ाद थे, खुला आसमा अपने हाथ था,
एक ऐसे परिंदे के तुम पंख कतर कर तोड़ गए ...
जाते जाते तुम अपनी यादों का मेला छोड़ गए,
तन्हाइयों में.............................. ।
अब बस करो क्यूँ आते हो सपने तो हमारे रहने दो,
वक्त की बहती धारा में हमें यूं ही तन्हा बहने दो, 
कितनों को हम रुला बैठे हैं, कितनों के दिल हम तोड़ गए...
जाते जाते तुम अपनी यादों का मेला छोड़ गए, 
तन्हाइयों में साथ रहे और महफिल में अकेला छोड़ गए

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