तन्हाइयों में साथ रहे और महफिल में अकेला छोड़ गए
जाते जाते तुम अपनी यादों का मेला छोड़ गए तन्हाइयों में साथ रहे और महफिल में अकेला छोड़ गए । सुकून हमारा छीन कर बेचैन हमे यूं कर दिया, आवारा थे तो ठीक थे, फिक्रमंद हमें क्यूँ कर द...
वो शेर जिन्हें तुम अल्फाजों के तानेबाने से बांध कर अर्ज करते फिरते हो,,वो मेरे दिमागी अभयारण्य में छुट्टे घुमा करते हैं - संजय "शौर्य"।।