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यादों में ...

हमने जिंदा रहने के बहाने ढूंढे  उसने अपनी खिदमत में नजराने ढूंढे  वक्त और पानी मुठ्ठी में कैद नहीं होता हमने हथेलियों की बारीक नगरी में  कुछ उसके फसाने ढूंढे कुछ पुराने ज़माने ढूंढे  संजय शौर्य 

क्या ये मेरा देश है ?

अंतर्मन में द्वेष है  पल पल बदले भेष है  भेड़िया बोले मेष है क्या ये मेरा देश है? कराहती है धरा अंबर गुबार से भरा पर्वतराज खुला केश है क्या ये मेरा देश है?  इस देश में दो देश हैं एक में लंबी कतारें एक में महकती बहारें अहं पर किसी के ये ठेस है हां ये मेरा देश है ..