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तजुर्बा ए रोशनी

तजुर्बा ए रोशनी में इत्तेफाक देखा  गुलों के बीच मुरझाया हमराज देखा  कहकशां था बीती रात जिस घर में  सुबह गमों का उठता वहां सैलाब देखा  मोहब्बत को कैसे मान लूं रहमत तेरी हर मोड़ पर रुसवाई का सजता बाजार देखा । #sanjay