तजुर्बा ए रोशनी
तजुर्बा ए रोशनी में इत्तेफाक देखा गुलों के बीच मुरझाया हमराज देखा कहकशां था बीती रात जिस घर में सुबह गमों का उठता वहां सैलाब देखा मोहब्बत को कैसे मान लूं रहमत तेरी हर मोड़ पर रुसवाई का सजता बाजार देखा । #sanjay
वो शेर जिन्हें तुम अल्फाजों के तानेबाने से बांध कर अर्ज करते फिरते हो,,वो मेरे दिमागी अभयारण्य में छुट्टे घुमा करते हैं - संजय "शौर्य"।।