गों कु बाटु
गों कु बाटु ऐच धारो मां मन्खियो कू लि जान्द सरसरी बथ्यो का दग्डा उड़ी उड़ी जान्द ज्यु बाटु मिथे गों बटी शेहर मा लान्द वै बाटु वखी गों बट्टी इकुलि रेह जान्द गों कु बाटु ऐच ध...
वो शेर जिन्हें तुम अल्फाजों के तानेबाने से बांध कर अर्ज करते फिरते हो,,वो मेरे दिमागी अभयारण्य में छुट्टे घुमा करते हैं - संजय "शौर्य"।।